Menu
blogid : 70 postid : 37

कभी पुकारा है परमात्मा को?

Media Manish
Media Manish
  • 17 Posts
  • 41 Comments

बात सिर्फ इतनी सी थी कि खाने की मेज पर हम पाँच साथियों में से एक ने इसलिए अन्न लेने से इंकार कर दिया क्योंकि वह उपवास पर थे। बात भोजन से बढ़ते हुए अध्यात्मिकता और अंतत: ईश्वर के अस्तित्व तथा प्रार्थना की शक्ति तक जा पहुँची। इस तर्क-वितर्क को शांत करते हुए मित्र ने जो उत्तर दिया, उसकी दृढ़ता पूर्णविराम सिद्ध हुई, ”मैं ऐसा करता हूँ, क्योंकि मैं ईश्वर में विश्वास करता हूँ।”

यह प्रसंग 70′ के दशक का नहीं, इसी माह का है और मित्र भी कोई सेवानिवृत्त बुजुर्ग नहीं, मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत 28-29 आयु वर्ग के युवा थे। धार्मिकता की यह नि:संकोच और सुदृढ़ अभिव्यक्ति उस विचारधारा पर कड़ा प्रहार थी, जो यह कहने से नहीं हिचकिचाती कि ‘आधुनिक पीढ़ी तो बस भौतिकता में ही रमी हुई है’। जी हाँ, अब यह तथ्य सर्वसिद्ध हो चुका है कि आधुनिक युवा धर्म, ईश्वर और प्रार्थना की शक्ति में अपने बुजुर्गो जैसा ही विश्वास रखते हैं। उनकी डिजायनर शर्ट के तले भी वही हृदय है, जो ईश्वर और उसकी सत्ता में विश्वास रखता है।

अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों की बात छोड़ दीजिए जिनमें यह सिद्ध किया गया है कि धर्म की जीवन में पुन: वापसी का दौर शुरू हो गया है और आधुनिक विश्व के 67 प्रतिशत युवा (स्त्रोत: प्रोबेबिलिटी ऑफ गॉड: ए सिंपल कैल कुलेशन दैट प्रूव्स द अल्टीमेट ट्रुथ-डॉ. स्टीफन अनविन) ईश्वर के अस्तित्व में पूर्ण विश्वास रखते हैं। आप तो बस नवरात्रि के दौरान, यहीं और अभी, इस तथ्य की पड़ताल कर सकते हैं। जरा देखिए कि किस तरह युवाओं और किशोरों की एक बड़ी संख्या मंदिरों के बाहर पूजा के फूल लिए कतार में खड़ी है और इसे अपनी धार्मिकता को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है।

इस भीड़ में केवल विभिन्न बोर्डो और यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं से गुजर रहे परीक्षार्थी ही शामिल नहीं, जिनके लिए परीक्षा के दौरान प्रार्थना अतिरिक्त संबल होती है। इनमें नौकरीपेशा, युवा दंपति और कैरियर में सफल मेधावी युवा भी शामिल हैं। अध्यात्मिकता आज दबाव से उबरने का सर्वाधिक शक्तिशाली विचार है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज आईआईटी की कई प्रतिभाएं इस्कॉन से जुड़ी हुई हैं।

ईश्वर में आस्था आखिर क्यों जागती है और ऐसा क्यों है कि हम सभी किसी ऐसी अदृश्य शक्ति पर विश्वास करते हैं, जिसे केवल महसूस ही किया जा सकता है? सकारात्मक जीवन की राह दिखाने वाले प्रवीण चोपड़ा की टिप्पणी इस सवाल का उत्तर देती तो है, लेकिन एक सवाल के ही रूप में, ”जब दोस्त, परिवार, शुभचिंतक और चिकित्सक आपकी मदद करने में असफल हो जाते हैं तब आप किसकी ओर देखते हैं?”

..यकीनन यह ईश्वर है। वह ईश्वर, जिसकी शक्ति का कुछ कृपापूर्ण अंश पाने के लिए टेनिस चैंपियन सानिया मिर्जा दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद होने पर पाँच वक्त की नमाज नहीं भूलती हैं, अमिताभ बच्चन सपरिवार नंगे पाँव सिद्धि विनायक के दर्शन को निकल पड़ते हैं और आईटी मुगल नारायण कृष्णमूर्ति की पत्नी सुधा रोज सुबह नियम से गाय के लिए पहली रोटी निकालती हैं। सफल व्यक्ति सफलता को बनाए रखने और असफल व्यक्ति असफलता से उबरने के लिए ईश्वर का ही सहारा लेता है और यकीन मानिए कि अगर आप नास्तिक हैं तो आपने इस जिंदगी में घाटे का सबसे बड़ा सौदा किया है। आप ‘प्रार्थना’, ‘विश्वास’ और ‘आस्था’ नामक उन तीन शब्दों से वंचित हो जाएंगे, जो जीवन को तूफानों में भी आगे बढ़ने का हौसला देते हैं!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh