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बापू की राह पर

Media Manish
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83 बरस पहले दांडी की ऐतिहासिक पदयात्रा करने वाले मोहनदास करमचंद गांधी आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके चरणों से छुई माटी की महक आज भी वहां मौजूद है। गांधी जी के उन्हीं पदचिन्हों को सहेजने की मंशा लिए निकला पांच युवा फोटोग्राफर्स का दल, जागरण समूह के समाचारपत्र मिड डे की टीम भी उनके साथ थी।

इस दल में अजीत भदौरिया, एडसन डिआज, चैतन्य गुत्तिकर, पी. माधवन और विनोबा नाथन शामिल हैं। इन्होंने इस प्रोजेक्ट को द सॉल्ट प्रिंट्स नाम दिया है। इस दल का उद्देश्य साबरमती से दांडी की 387 किमी पदयात्रा कर फोटो डॉक्यूमेंट्स और दांडी मार्च से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों को जुटाना है। इस लंबे सफर में उनके हमसफर रहे मीडियम और लार्ज फॉरमैट के कैमरे।

दल के सदस्य और गोवा सेंटर फॉर अल्टरनेटिव फोटोग्राफी (गोवा कप) के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर माधवन कहते हैं, ”हमारा उद्देश्य महज किसी एक बिंदु से दूसरे बिंदु की यात्रा करना नहीं था। दरअसल आज दांडी यात्रा से जुड़े तमाम विजुअल डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। इन स्थानों की तस्वीरें एकत्र कर गांधी जी की यादों को लोगों तक विजुअल तरीके से पहुंचाने के उद्देश्य से हमने यह यात्रा शुरू की। इस सफर के बाद तस्वीरें और पुस्तक तैयार होंगी। जाहिर है कि इनकी जो प्रदर्शनी लगाई जाएगी वह भी सामान्य नहीं होगी।”

गोवा कप के संस्थापक निदेशक 40 वर्षीय एडसन डिआज दल के सबसे उम्रदराज सदस्य हैं। वे ईमानदारी से इस बात को स्वीकारते हैं कि उन्होंने गांधी जी के बारे में अधिक नहीं पढ़ा है। वह कहते हैं, ”गांधी जी के विचार कितने महत्वपूर्ण हैं, यह मैं लोगों से बातचीत करके जान पाया ।” डिआज कहते हैं, ”गांधी जी ने अपनी यात्रा तेजी से पूरी की थी। वे अपना लक्ष्य और ठहरने का स्थान अच्छे से जानते थे। …लेकिन हम लोग कई बार गांवों में सुंदर दृश्यों को कैमरे में कैद करने और लोगों द्वारा बात करने के आमंत्रण पर भी रुक जाते हैं।”

दल के सदस्य अजीत भदौरिया के लिए इस प्रोजेक्ट के मायने गांधी जी के विचारों को विजुअल आर्ट के रूप में एकत्र कर उनकी विचारधारा को लोगों के सामने प्रस्तुत करना है, जिनके बल पर उन्होंने अंग्रेजी ताकत से लोहा लिया था। दूसरी तरफ माधवन के लिए यह ऐसे भूभाग पर यात्रा करना है, जहां से असहयोग आंदोलन की रूपरेखा तैयार हुई थी।

दल का एक अन्य उद्देश्य गांव के युवाओं को फोटोग्राफी की ओर खींचना और उनके साथ अपने अनुभव बांटना भी है। इस पदयात्रा के पड़ाव में 21 गांव शामिल हैं और प्रत्येक गांव के चार बच्चों को सदस्य फोटोग्राफी के बेसिक स्किल सिखा रहे हैं। माधवन कहते हैं, ”गांधी जी ने अपनी पदयात्रा के दौरान लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। फोटोग्राफर होने के नाते हम गांव वालों को वो बता रहे हैं, जो हम जानते हैं। आज हर कोई फोटोग्राफी का मतलब कैमरे या मोबाइल से तस्वीर को क्लिक करना समझता है, लेकिन फोटोग्राफी के लिए सिर्फ यंत्रों पर निर्भर रहना सही तकनीक नहीं है। यही बात हम लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।”

यह दल अब तक जहां से भी गुजरा, वहां के गांव वालों ने इनका गर्मजोशी से स्वागत किया। माधवन बताते हैं, ”लोग हमें खाने और ठहरने के लिए निमंत्रण देते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गांव केलोगों जैसा प्रेम और स्नेह शहर में रहने वालों में नहीं दिखता!”।

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